रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दक्षिण के राज्यों का दौरा कर रहे हैं। इस समय वह भगवान विष्णु के अवतार राम और कृष्ण से जुड़े प्रतीकों-मंदिरों को समय दे रहे हैं।
मंदिरों में पीएम राज्य की भाषा से जुड़े रामायण के पाठ भी सुन रहे हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि प्रधानमंत्री जी की पूरी कवायद भगवान राम के उत्तर भारत तक सीमित रहने के मिथक को तोड़ने के साथ उन्हें देश की सांस्कृतिक एकता के प्रतीक के रूप में स्थापित करने की भी है।
संघ और भाजपा के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की अवधारणा यही है। दोनों मानते हैं कि भले ही भाषा, बोली और रहन-सहन के मामले में देश में विविधताओं की भरमार है, लेकिन सांस्कृतिक दृष्टि से भारत सदियों से एक रहा है।
इसी तथ्य को स्थापित करने के लिए पीएम ने एक भारत-श्रेष्ठ भारत अभियान की पहल की और इसके अंतर्गत पहले काशी-तमिल संगमम के बाद सौराष्ट्र-तमिल संगमम के कई आयोजन कराए गये।
पीएम शुक्रवार व शनिवार को कर्नाटक-तमिलनाडु का दौरा करेंगे। शनिवार को तिरुचिरापल्ली के श्री रंगम मंदिर व रामनाथपुरम के रामेश्वरम मंदिर के दर्शन करेंगे। रामेश्वरम में भगवान राम ने समुद्र पर पुल बनाया था। पीएम मोदी यहां से जल लेकर प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन अयोध्या में जलाभिषेक करेंगे।
संघ के एक वरिष्ठ विचारक के मुताबिक, मुगल काल से ब्रिटिश काल तक भारत की विविधता को गलत संदर्भ में प्रचारित किया गया। यह भ्रांति बनाई गई कि कोई ऐसा तत्व नहीं है, जिससे यह कहा जाए कि भारत एक था। इन दौरों से उत्तर-दिक्षण का भेद खत्म करने की योजना है।
इसी के साथ भाजपा दक्षिण के राज्यों में अपना विस्तार करना चाहती है। दक्षिण के पांच राज्यों केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और कर्नाटक की 140 लोकसभा सीटों में से बीते चुनाव को भाजपा को महज 29 सीटें मिली थीं। इनमें 25 कर्नाटक तो चार तेलंगाना से थीं।
पीएम की दक्षिण राज्यों की यात्रा और इस दौरान मंदिरों का चुनाव बताता है कि कैसे श्रीराम को देश की सांस्कृतिक एकता के रूप में पुनर्स्थापित करने की पहल की जा रही है। मंगलवार को पीएम आंध्र के वीरभद्र स्वामी मंदिर गए।
रामायण में जिक्र है कि सीता की खोज में निकले श्रीराम का यहीं गिद्धराज जटायु से मिलन हुआ था। पीएम ने यहां करीब 45 मिनट बिताए। बुधवार को केरल दौरे पर पीएम ने गुरुवायूर मंदिर में दर्शन के बाद त्रिशूर के त्रिप्रयार स्थित रामास्वामी मंदिर के दर्शन किए।
मंदिर में पीएम ने मलयालम में रामायण का पाठ सुनने के बाद बच्चों के एक समूह से वेद पाठ भी सुना। यह मंदिर भगवान विष्णु के सातवें अवतार माने जाने वाले भगवान राम को समर्पित है।
गुरुवायूर मंदिर 5,000 साल पुराना है, इसमें भगवान कृष्ण बाल स्वरूप में मौजूद हैं। मान्यता है कि इसका निर्माण देवगुरु बृहस्पति ने किया था।